आकाश नागर, ग्रेटर नोएडा 

अहसान रहा इल्जाम लगाने वालों का ..
उंगलिया उठती रही हम मशहूर होते गए.....

उक्त पंक्तिया सटीक बैठती है कचैडा निवासी धीरज नागर पर । वही धीरज नागर जो कभी कचैडा गाँव के लिए अबूज पहेली बने हुए थे । आज चार माह की किसान आंदोलन की मेहनत के बाद वह निखरकर समाज के सामने आए है । ठीक उसी तरह जिस तरह लोहा आग में तप कर नए रूप में आकार लेता है । धीरज आज नया मुकाम हासिल कर चुके हैं । आज का दिन उनकी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण दिन है । क्योंकि इस दिन कचैडा गांव का कई वर्षों से चला रहा आंदोलन अपने मुकाम के मुहाने पर जा पहुंचा है । हालांकि इससे पहले भी कई बार शासन प्रशासन के समक्ष कचैडा और वेब सिटी के लोगों के बीच किसानों की समस्याओं को समाधान कराने के लिए मीटिंग हो चुकी हैं । लेकिन धीरज नागर के अथक प्रयासो से आगामी 14 मार्च को जो मीटिंग होगी वह बहुत महत्वपूर्ण है । इस मीटिंग में ना केवल गाजियाबाद बल्कि गौतम बुद्ध नगर के प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहेंगे इस दिन हो सकता है कि किसानों की किस्मत का पिटारा खुल जाए ।आज से 4 महीने पहले जब गांव और आसपास के 86 किसानों को जेल भेजा गया था तो गांव में आंदोलन को चलाने वाला और नेतृत्व संभालने वाला कोई नहीं था । क्योंकि गांव के वर्तमान प्रधान, पूर्व प्रधान सहित तमाम वह लोग जो राजनीति के ककहरे में सबसे आगे होते थे वे जेल जा चुके थे । 
वेव सिटी का मकसद यही था कि वह उन लोगों को जेल में रखकर किसानों की जमीनों पर कब्जे ले ले । इसके बाद स्थानीय विधायक तेजपाल नागर कयी महीनों तक गांव वालों को इस बात पर बरगलाते रहे कि उनकी वेवसिटी से वार्ता करा दी जाएगी । हालाकि एडीएम की अध्यक्षता में वार्ता जरूर हुई । लेकिन उसका रिजल्ट कुछ नहीं निकला और यह कहकर वेव सिटी वालों ने गांव वालों के जख्मों को हरा कर दिया कि 'उन्होंने जो आठ परसेंट दिया था वह उनकी सबसे बड़ी भूल थी' । इसके बाद ग्रामीणों ने मनवीर तेवतिया के नेतृत्व में डीएनडी पर धरना प्रद्रशन किया । जिलाधिकारी ने वार्ता कराने की बात कही । वार्ता हुई भी लेकिन होने न होने के बराबर । अब लोगो को धीरज नागर के प्रयासो से उम्मीद का नया सूरज उगता हुआ दिखाई दे रहा है । 14 मार्च को होने वाली मिटिंग वेवसिटी की डीपीआर जरुर निरस्त हो जाएगी । ऐसा धीरज नागर का मानना है। किसान संघर्ष महासमिति के अध्यक्ष धीरज नागर का कहना है कि पहले लखनऊँ से प्रमुख सचिव और अब गाजियाबाद के तहसीलदार एवं उपजिलाधिकारी ने लिखित में आश्वासन दिया है कि " स्थलीय निरिक्षण " कराया जायेगा , वह भी ग्रामीणों के सामने । अगर स्थलीय निरिक्षण होगा तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा । गौरतलब है कि धीरज नागर न केवल पिछले चार महीनों से कचैडा में धरने का सफल संचालन कर रहे है बल्कि कयी बार लखनऊँ से लेकर गाजियाबाद तक वेवसिटी की उस डीपीआर को निरस्त कराने का भगीरथ प्रयास कर चुके है जो नियम विरूद्ध है । नियमों के अनुसार आज से करीब चार साल पहले ही वेवसिटी की डीपीआर निरस्त हो जानी चाहिए थी । लेकिन शासन - प्रशासन धनबल और सत्ता के दवाब में हर बार डीपीआर की अवधि बढाता रहा है । लेकिन इस बार ऐसा संभव नही है । क्योकि कचैडा के किसान अब आर या पार के मुंड में है।
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